Tuesday, June 29, 2010

गर्मी में हौसले पस्त, पर फुटबाल में मस्त

साइना ने किया कमाल ऐसा। कि मिला कवरेज खूब। वरना न अखबार और मीडियावालों को। और न पढ़ने-देखने वालों को। सूझ रहा कुछ भी। फुटबाल के सिवा। एशिया कप जीत गए। जीत गए होंगे! विम्बलडन में क्या हुआ! ठीक-ठीक पता नहीं! टेस्ट टीम में भी दिलचस्पी नहीं खास। और दिन होते तो मचा देते कोहराम। फिलहाल फुटबाल में सब धुत्त। पसंदीदा टीम की जर्सी। टैटू। फैशन में जबर्दस्त। गर्मी में हौसले पस्त। पर फुटबाल में मस्त। भीड़भाड़, होहल्ला। क्रिकेट में भी कम नहीं। पर फुटबाल तो बेइंतहा जुनून। और बेहिसाब जश्न!

Thursday, June 24, 2010

बहरीन के ग्रेनाइट की फ्लोरिंग, चीनी पर्दे, विदेशी फूल

कायाकल्प की। अकल्पनीय कहानी। शहर हो ग्रीन-क्लीन! आवागमन सहज-सुगम! देवदूतों की तरह आते-जाते। पर्यटकों की खातिर। भव्य हों हवाई अड्डे। राष्ट्रमंडल खेल ने। किया गजब। भूल गए नौ दिन में। अढ़ाई कोस की तर्ज। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का। यह नया टर्मिनल। सैंतीस माह में तैयार। विशाल-आलीशान। वहां ले जाएंगे मनोरम मार्ग। बहरीन के ग्रेनाइट की फ्लोरिंग। चीनी पर्दे। विदेशी फूल। न छानबीन की झंझट। न कोई इंतजार। ऐलीवेटरों, एक्सीलेटरों, स्वचालित पगडंडियों की भरमार। दुनिया के विशालतमों, आधुनिकतमों में एक। स्वागत करतीं। नृत्य की। हस्त मुद्राएँ। अभय देतीं। तथागत की। भंगिमाएं!

Monday, June 14, 2010

कोई नहीं देख रहा पीड़ितों का दर्द

भोपाल गैस त्रासदी। सदी का सबसे भयानक हादसा। हजारों मरे। लाखों पीड़ित। ङोल रहे हैं दंश। आने वाली पीढ़ियां भी ङोलेंगी। बड़ी आस लगाए। बैठे थे लोग। अदालत से मिलेगा इंसाफ। जख्मों पर लगेगा मरहम। लेकिन फैसले ने। जख्मों पर नमक। छिड़क दिया। यह कैसा न्याय। देर भी। अंधेर भी। उठ रहे हैं। तरह-तरह के सवाल। कौन दोषी है? किसकी गलती है। राजनीति चरम पर। एक-दूसरे पर। ठीकरा फोड़ रहे हैं। अपना पल्ला झाड़ रहे। कोई नहीं देख रहा। पीड़ितों का दर्द। आखिर कैसे कम होगा। उनका गम। कुछ तो ऐसा हो। जिससे आहतों को। मिले कुछ राहत।

Friday, June 4, 2010

मौसम थोड़ा कूल, पर धूल ही धूल

आंधी-तूफान का मौसम। हर तरह की आंधियां और तूफान! कुछ हुए फिस्स। कुछ ने किया। बहुत कुछ तितर-बितर। लैला का था बड़ा शोर। लबे साहिल तक। पहुंचते-पहुंचते पड़ा। जोश ठंडा। आया दम। बच गये हम। अब फेट का हल्ला। लेकिन बंगाल की खाड़ी में। ममतादी लायीं जो राजनीतिक तूफान। वह हैरतअंगेज! गर्मी का मौसम। लू के थपेड़ों के साथ। चली हिंसा की क्रूर हवाएं। उड़ा ले गयीं वे। यूपीए की सालगिरह की नर्म हवाएं। अब मौसम। अजब। कभी गर्मी। कभी आंधी, गजब। मौसम थोड़ा कूल। पर धूल ही धूल।