tag:blogger.com,1999:blog-359443679646123682.post7869525479902174973..comments2023-10-18T04:35:14.088-07:00Comments on भारतनामा: जब प्रेम तुम्हें बुलाए तो उसके पीछे-पीछे जाओमधुकरhttp://www.blogger.com/profile/03562544056870654478noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-359443679646123682.post-73012947120055862792008-07-13T11:08:00.000-07:002008-07-13T11:08:00.000-07:00Aasha karta hun ki aap puri tarha prakashit kareng...Aasha karta hun ki aap puri tarha prakashit karenge.S. Bijen Singhhttps://www.blogger.com/profile/12959185585551907900noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-359443679646123682.post-41953259380943432832008-07-13T02:09:00.000-07:002008-07-13T02:09:00.000-07:00इतना बढ़िया और तर्कसंगत ढ़ंग से इस महत्वपूर्ण बात को...इतना बढ़िया और तर्कसंगत ढ़ंग से इस महत्वपूर्ण बात को प्रस्तुत करने के लिये साधुवाद!<BR/><BR/>यहाँ आपने 'फ़ुल स्टाप' की कमियाँ गिनाई हैं; पूर्ण विराम (खड़ी पाई') के लाभ भी बताये जा सकते हैं। जैसे कि:<BR/><BR/>१) देवनागरी के अधिकांश वर्ण खड़ी पाई पर ही आधारित हैं। इसलिये खड़ी पाई का वाक्यान्त सूचक के रूप में प्रयोग अधिक तर्कसंगत है।<BR/><BR/>२) खड़ी पाई पहले से ही प्रचलन में है तो फ़िर उसके किसी विकल्प की आवश्यकता ही क्या है?<BR/><BR/>३) 'फुल स्टाप' की अपेक्षा खड़ी पाई वाक्य के अन्त को अधिक स्पष्टता से व्यक्त कर पाती है। इससे तेज गति से पढ़ने में आसानी होती है।<BR/><BR/>४) 'छवि से टेक्स्ट' में बदलने वाले साफ़्टवेयर प्रग्रामों को भी खड़ी पाई से सुविधा होगी क्योंकि 'फ़ुल स्टाप' के गुम होने (धुंधला होने के कारण) या नुक्ते की तरह समझे जाने, या 'अं' की मात्रा की तरह समझे जाने की गलतफ़हमी होने की भरपूर गुंजाइश है।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-359443679646123682.post-66341918247233972342008-07-12T06:59:00.000-07:002008-07-12T06:59:00.000-07:00bhut badhiya. jari rhe.bhut badhiya. jari rhe.Advocate Rashmi sauranahttps://www.blogger.com/profile/06021137276066288688noreply@blogger.com