Saturday, February 6, 2010

लोग ऐसे ही जुड़ते हैं, गीदड़भभकियों के खिलाफ


रेल ने बहुत कुछ बदला। शक्ल बदल दी हिंदुस्तान की। जोड़ दिया उसे एक तार से। यहीं चली थी पहली रेलगाड़ी। मुंबई से ठाणे। आजादी भी जुड़ी रही रेल से। दक्षिण अफ्रीका। पीटरमारित्जबर्ग स्टेशन। धक्का देकर उतारे गए महात्मा गांधी। और बदल गई उनकी दुनिया। घूमते रहे। तीसरे दज्रे के डिब्बे में। लोग जुड़ते गए। कि ब्रितानी साम्राज्य का शेर गीदड़ बन गया। और अब राहुल। लोकल में। लाइन में लगकर टिकट खरीदते। इंतजार करते। लोगों से बतियाते। अंधेरी से दादर। दादर से घाटकोपर। जरूरी था। क्योंकि लोग ऐसे ही जुड़ते हैं। गीदड़भभकियों के खिलाफ।

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