Wednesday, February 27, 2008

संसद टर्मिनल से चुनाव जंक्शन


मधुकर उपाध्याय

ला ला ला लिल्ली लिल्ली।
लालू जी आए हैं दिल्ली।
पांच साल से डटे हुए हैं,
देखो उनका खेल तमाशा।
बांट रहे हैं खुले हाथ से
खुद को राहत सबको आशा।
मैनेजमेंट यही है असली,
न कोई तिनका, न कोई दाढ़ी।
अगला स्टेशन चुनाव का,
वहीं रुकेगी अबकी गाड़ी।
ऊंचा खेल अजीमाबादी,
तुम नादान कहां समझोगे।
कहां-कहां तक सिर पटकोगे।
जादूगर ऐसा करता है,
खुश रखता है, खुश रहता है।
झटका खाती, बोझ उठाती,
लस्टम पस्टम चलती रेलें।
बजट मास्टर लालू अव्वल,
बाकी जो झेले सो झेले।

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