Wednesday, September 17, 2008

अपराधी सदन में रहेंगे तो जेल में कौन रहेगा


एक चेहरे का कटा-पिटा होना। लोहे की जालियों के पीछे। जेल के सींखचों का पूर्वाभ्यास। यह हकीकत है। यही सच है इस तस्वीर का। सिनेमा होता तो चेहरे पर दूसरा चेहरा लगा लेते। बच जाते। छिप जाते। कोशिश तो थी ही। पर न नरेंद्र बचा न सुनील। यानी कि माननीय सुनील कुमार पांडेय। बिहार के विधायक जी। सदन की शोभा। आदरणीय। जनप्रतिनिधि। और अपहर्ता। जेल जा रहे हैं। सारी जिंदगी नहीं रहेंगे। अपने दोनों चेहरों के साथ। आजीवन कारावास। अपराधी सदन में रहेंगे तो जेल में कौन रहेगा। विधायक?

3 comments:

दीपक कुमार भानरे said...

अजी जेल आम जनता के रहने के लिए . इन राजनेताओं के लिए थोड़े ही है . और यदि जेल जाते भी है ताओ पूरे थाट बात के साथ मानो जेल न हो गेस्ट हाउस हो .

Kaushal said...

Caste, Cash, Crime, Communilism से दो-चार होती बिहार कि राजनीति में आपराधिक छवि का होना एक अतिरिक्त योग्यता है इसलिए मुझे नहीं लगता कि इन्हें छिपने या दूसरा चेहरा लगाने कि कोई जरूरत है. रही बात बचने कि तो बच तो ये जायेंगे ही क्योंकि निजाम को आज सत्ता बचाने के लिए इनकी जरूरत न हो लेकिन कल इनकी जरूरत होगी इसलिए ये बने रहेंगे. अपने असली चेहरे के साथ. किसी को इनसे हाथ मिलाने में परहेज नहीं होगा. पूर्व अनुभव इसे साबित कर चुका है और आने वाले समय में यह बार-बार साबित होगा. यह भारतीय लोकतंत्र कि नियति है.

कुमार कौशल, दरभंगा, बिहार

sandhyagupta said...

अपराधी सदन में रहेंगे तो जेल में कौन रहेगा। विधायक?

Bilkul sahi likha hai aapne.