
फिरकी बाबा। असली संन्यासी। न जटा-जूट। न लंबी दाढ़ी। चोंगा-बाना भी गायब। हाथ में एक लाल गोला। कभी-कभी सफेद। गोला रखते तो किताब उठा लेते। किताब रखते तो कैमरा। बिल्कुल बेदाग। किसी चीज का गुमान नहीं। हाथी की तरह मस्त चाल। लोग जंबो बाबा कहने वगे। विनम्र। नपी तुली भाषा। भद्र व्यवहार। दुनिया भर घूमे। चमत्कार करते। सबने देखा। अट्ठारह साल तक। फिर उसने लाल गोला अलग रख दिया। कहा-अब बस। ऐसा संन्यासी। उसे संन्यास लेने की क्या जरूरत। ऋषि से कौन पूछे। हे महर्षि कुंबले। हम कृतग्य हैं कि आप इतने दिन साथ रहे।