Wednesday, February 18, 2009

तुमने मेरी जिंदगी का खालीपन खुशियों से भर दिया

प्रेम कथा-5

एडविना अपने प्रेम संबंधों को लेकर बहुत खुली हुई थीं और उन्हें गोपनीय रखने की अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं करती थीं। लेकिन उनका यह व्यवहार अपने पति डिकी माउंटबेटन के मामले में बिलकुल भिन्न था। एडविना को यह कतई मंजूर नहीं था कि कोई दूसरी महिला डिकी की जिंदगी में आए। डिकी ने अपनी पुरानी मित्र योला को दिल्ली आमंत्रित किया तो ऊपरी तौर पर दोस्ताना अंदाज निभाते हुए एडविना ने पूरी कोशिश की कि योला जल्दी से जल्दी लंदन लौट जाए। उन्होंने एक यात्रा निर्धारित की और योला को लेकर घूमने चली गईं ताकि वह माउंटबेटन के साथ न रह पाएं। इतना ही नहीं, एडविना ने डिकी से हामी भरवाई कि उनके निधन के बाद भी वह योला से शादी नहीं करेंगे। एडविना के प्रेम संबंधों की सूची बहुत लंबी है, जिनमें से एक उस दौरान दिल्ली में थे। फील्ड मार्शल क्लॉड ऑकिनलेक। लेकिन नेहरू इन सब से भिन्न थे और पहली मुलाकात के बाद से वह लगातार एडविना की जिंदगी में महत्वपूर्ण बने रहे। अपने कार्यालय में बैठे नेहरू को एक दिन एडविना की चिट्ठी मिली। वर्ष 1957 में एडविना ने लिखा, ‘‘दस साल.. दस साल हो गए। यह दस साल कितने महत्वपूर्ण हैं। इतिहास के लिए और हमारी निजी जिंदगियों के लिए। नेहरू ने जवाब लिखा, ‘‘सचमुच.. दस साल। नेहरू और एडविना की संभवत: आखिरी मुलाकात 1960 में हुई। तब नेहरू सत्तर साल के थे और एडविना अट्ठावन की। 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस की परेड में दोनों अगल-बगल खड़े थे। शाम को राष्ट्रपति भवन में चाय पर उनकी फिर मुलाकात हुई। एडविना की तबीयत ठीक नहीं रहती थी लेकिन नेहरू के साथ की वजह से उनका चेहरा दमकने लगता था। मैरी सेटन कहती हैं, ‘‘साथ-साथ खड़े नेहरू और एडविना कितने युवा लगते हैं।एडविना डिकी माउंटबेटन को अपना ‘पोस्टर ब्वॉय और नेहरू को ‘प्रेरणा कहा करती थीं। माउंटबेटन और नेहरू के बीच बातचीत और खतो-किताबत का दो-तिहाई हिस्सा एडविना के बारे में होता था। डिकी ने लिखा, ‘‘एडविना की तबीयत ठीक नहीं है और तुम्हें भी आराम की जरूरत है। कुछ दिन के लिए लंदन आ जाओ। एडविना तुम्हारा इंतजार कर रही हैं। नेहरू ने एक चिट्ठी एडविना को लिखी और एक डिकी को। उन्होंने डिकी को लिखा, ‘‘बहुत काम है और वक्त बहुत कम। लेकिन मैं आऊंगा। जब नेहरू लंदन में होते थे तो माउंटबेटन दूसरे घर में चले जाते थे ताकि एडविना और नेहरू कुछ समय साथ गुजार सकें। एडविना का दिल्ली और नेहरू का लंदन आना-जाना इतना विवादास्पद हो गया था कि ब्रिटेन की महारानी को इस मामले में खुद हस्तक्षेप करना पड़ा। किसी भी प्रेम कथा की तरह एडविना और नेहरू की प्रेम कहानी में बहुत कुछ अनकहा, अनसुना, अनलिखा रह गया। नेहरू को इसका मलाल था, ‘‘इतना कुछ कहना चाहता हूं पर शब्द साथ नहीं देते। एडविना ने लिखा, ‘‘तुमने मेरी जिंदगी का खालीपन खुशियों से भर दिया। उम्मीद है कि तुम्हारी जिंदगी में मेरा दखल भी इसी तरह का होगा।समाप्त

5 comments:

रंजू भाटिया said...

अदभुत रोचक प्रेम कथा है यह ..समाप्त भी हो गई ? बहुत कुछ जानने की इच्छा रह गई ..शुक्रिया

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

ऐसा ही होता है.

निर्मला कपिला said...

bahut badiya kahani hai

musaffir said...

post padhna gajab ka anubhav raha. itni jankari ke baare me sonch bhi nahi sakta tha wo bhi itni bari hasti ke sambandh me.
thank's a lot

madhuker upadhyay said...

Thank you for reading and responding to the Nehru-Edwina love letters. This is just the tip of the iceberg...