Monday, June 14, 2010

कोई नहीं देख रहा पीड़ितों का दर्द

भोपाल गैस त्रासदी। सदी का सबसे भयानक हादसा। हजारों मरे। लाखों पीड़ित। ङोल रहे हैं दंश। आने वाली पीढ़ियां भी ङोलेंगी। बड़ी आस लगाए। बैठे थे लोग। अदालत से मिलेगा इंसाफ। जख्मों पर लगेगा मरहम। लेकिन फैसले ने। जख्मों पर नमक। छिड़क दिया। यह कैसा न्याय। देर भी। अंधेर भी। उठ रहे हैं। तरह-तरह के सवाल। कौन दोषी है? किसकी गलती है। राजनीति चरम पर। एक-दूसरे पर। ठीकरा फोड़ रहे हैं। अपना पल्ला झाड़ रहे। कोई नहीं देख रहा। पीड़ितों का दर्द। आखिर कैसे कम होगा। उनका गम। कुछ तो ऐसा हो। जिससे आहतों को। मिले कुछ राहत।