Sunday, November 2, 2008

जीत सबकी होती है


जिसे जीतना है वह जीत ही जाता है। विजेता, विजेता होता है। वही दिखता है। क्योंकि जीत किसी खेल, संघर्ष या देश तक सीमित नहीं होती। सबकी होती है। यह जीत का व्याकरण है। कठिन है, पर बहुत नहीं। उदाहरण हर तरफ मौजूद। नाम जो भी हो। रूप-रंग बेमानी। पता-ठिकाना बेमतलब। मससन ओबामा। बराक ओबामा। बराक भी अपभ्रंश। शायद। मुबारक से बना। और अश्वेत। अमेरिकी इतिहास में पहली बार। वह आगे। बाकी पीछे। हांफते-डांफते। धीरे-धीरे गायब होते। नतीजा बाद में आएगा। लेकिन आगे की कहानी विजेता की होगी। हमेशा की तरह।

3 comments:

सुनील मंथन शर्मा said...

jitne ke bad hi unka gungan hota hai. pahle nahin, kyon.

Kuldeep said...

यह सब मोह माया है

भागीरथ said...

obama ke aane se bharat kyun foola nahin sama raha hai? kya hum log bhram me nahin jee rahe?