
दिल्ली की जामा मस्जिद। भव्य और आलीशान। छत पर दो सुंदर बच्चियां। एक इबादत में। दूसरी, मस्ती में। खिलंदड़ापन। बेफिक्र। बेपरवाह। बेखबर। कि यह साल का आखिरी महीना है। इस्लामी कैलेंडर का। जुल-हिजा। बकरीद। जिसमें कुर्बानी फर्ज है। अब्राहम के बेटे इस्माइल की याद। खुदा ने इस्माइल को बचा लिया। कुर्बानी के लिए भेड़ भेजकर। उसका त्योहार। खास नमाज। गले मिलना। फिर खाना-पीना। लेकिन इस बार जोर सिर्फ इबादत पर। दूसरों की भावनाओं की कद्र पर। मुंबई हमले का भी असर। दारुल-उलूम की अपील। गोवध के खिलाफ। अल्लाह यह इबादत जरूर कुबूल करेगा।
6 comments:
आमीन
good..
दिल को छू लेने वाला चित्र, बधाई!
दिल को छू लेने वाले चित्र । लेकिन मैं शुरु से ही फिदा हूं आपके छोटे छोटे वाक्यों से अपनी बातों को सहजतापूर्वक कहना । काश मैं भी ऐसा लिख पाता ।
sir,
umda..adbhut..apka likha..dekhti tasveer..dono...sadhuvad..
बहुत अच्छा फोटो।
- आनंद
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