
शायद सबसे लंबा इंतजार। खत्म हुआ। मेट्रो पहुंची नोएडा। दिल्ली की शान का। शानदार विस्तार। कुछ हादसे। थोड़ी बहुत अफरा-तफरी। लेकिन लोगों का भरोसा। जमता गया। मेट्रो पर। सुविधा से। तय समय पर पहुंच सकते अब। द्वारका से नोएडा सेक्टर बत्तीस तक। यह इत्मीनान। बड़ी गनीमत। सड़कों के जाम। बस में सफर की। यातना-अपमान से। आहतों को राहत। हैरत यह कि सरकारें। नियामत और कयामत। देतीं साथ-साथ। असुविधाए, अचल-अपार। लेकिन सुविधाओं का भी विस्तार। बढ़ा दी महंगाई। साथ ही बढ़ाई। मेट्रो की लंबाई। सरकारजी आप धन्य! मेट्रो तो खैर! परम अनन्य!
1 comment:
मैं तो यहाँ इलाहाबाद में बैठकर खुश हो रहा हूँ। मेट्रो महरानी के चपल पाँव हमारे यू.पी. में तो पड़े। दिल्ली प्रवास पर नोयडा में काम करने वाले मित्रों से मिलना भी आसान हो जाएगा।
मधुकर जी, आजकल कहाँ व्यस्त हैं? इस ब्लॉग पर कुछ निजी गतिविधियों और अनुभवों को बाँटिए न...! बहुत हिट होंगे आप यहाँ।
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