Saturday, February 20, 2010
कूटनीति में यही होता है
मुलाकातें हमेशा अर्थवान। अपने ही अंदाज में। साधारण से लेकर असाधारण तक। कभी नाते-रिश्तेदार। दोस्त अहबाब। मेले में बिछड़े दो भाई। या कोई स्वार्थ। सौदा। फायदा। कभी-कभी दो धुरंधर। जसे शांति के नोबल पुरस्कार विजेता। दिक्कत अर्थ में है। मुलाकात में नहीं। अर्थ हो सकते हैं एक से ज्यादा। इसीलिए। देखने का नजरिया अलग। उसी से बदलता मानी। वरना हर्ज क्या था। दलाई लामा और ओबामा। एक साथ। ह्लाइट हाउस में। तिब्बती खुश थे। खुशी के आंसू। चीन नाराज। बेतरह। यह मुलाकात उसके लिए हस्तक्षेप। कूटनीति में यही होता है। बहुअर्थी।
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