Thursday, June 19, 2008

भांति-भांति की यात्राओं का देश


भांति-भांति की यात्राओं का देश। सबसे परम तीर्थ यात्रा। आस्था न देखे नदी पहाड़। दुर्गम को सुगम करती। पंगु को चढ़ाती गिरिवर गहन। सदियों से चल रही है अनवरत। कुछ दिनों में ही निकलेंगे कांवड़ियों के कारवां। आशुतोष औडर दानी। उनकी खातिर क्या संकट, क्या परेशानी। ग्यारह हजार फीट पर पहलगाम। वहीं विराजे अपनी प्रकृति से रचित बाबा अमरनाथ। अद्भुत हिम शिवलिंग। श्रावण पूर्णिमा तक दो लाख करेंगे दर्शन। पूरी होगी बरसों की साध। हे भोलेनाथ। मंगलमय रहे यात्रा। आपके भक्तों की फौज, लौटे मनाते मौज।

3 comments:

jasvir saurana said...

jay bhole baba ki.

Udan Tashtari said...

मंगलमय रहे यात्रा-हमारी भी सभी तीर्थयात्रियों को शुभकामनाऐं.

Unknown said...

मधुकर जी
फोटो-कैप्शन लगाने में जवाब नही आपका। आज समाज के मुखड़े पर भी नजर आ जाता है। लगता है आपका काफी वक्त गुवावा देखकर दोस्तों से अमरूद के बारे में बात करते गुजरा है।