Saturday, June 28, 2008
हम उसे अलविदा नहीं कहते, सैल्यूट करते हैं
अमेरिकी सैम सौ फीसदी नकली है। फर्जी है। गढ़ा हुआ। डरा हुआ। मोहल्ले का कामचलाऊ सैम अंकल। असली तो भारत में है। और हमेशा रहेगा। हमारा अपना सैम बहादुर। वह‘था' कभी नहीं हो सकता।‘है' ही रहेगा। बहादुरी कभी बीता हुआ कल नहीं होती। दिलेरी, जांबाजी, दूरदर्शिता इतिहास नहीं हो सकती। साहस कमजोर लोगों की शरणगाह है। हिम्मत का वर्तमान बहादुर होता है। हमारे सैम में यह सब है। गजब की प्रतिबद्धता। देश रचने की। हम उसे अलविदा नहीं कहते। सैल्यूट करते हैं। चौड़े सीने और गर्व से उठे माथे के साथ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
बहुत ही खूब ! भरपूर जोशीले अंदाज़ ! सलाम सिपाही !
इतने कम शब्दों में इतनी बेहतरीन अभिव्यक्ति...वाकई लाजवाब है...सलाम सैम..
हम भी सैल्यूट करते हैं. आभार इस पोस्ट का.
Post a Comment