Thursday, August 21, 2008

यही ओलंपिक है

विचार के साथ एक मुश्किल है। वह महान हो सकता है। या फिर महानतम। पर उसका नाम नहीं होता। कोई उसे छू नहीं सकता। ओलंपिक यह मसला हल कर देता है। विचारों को नाम देकर। निराकार को साकार बनाकर। सबके सामने। यही ओलंपिक है। विचार के नामकरण का संस्कार। कोई उसे अपना नाम देता है। हाड़ मांस का इंसान। जसे सबसे तेज बोल्ट। सबसे ऊंची येलेना। सबसे ताकतवर फेल्प्स। बीजिंग इसीलिए याद किया जाएगा। कि अब लोग विचार को छू सकेंगे। उससे बात करेंगे। उसके जैसा बनने की कोशिश करेंगे। यही अगले विचार को जन्म देगा। दुनिया भर में।

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