Saturday, August 9, 2008

राजनीतिक ओलंपियाड-2008

हम पक्के खिलाड़ी हैं। असली खिलाड़ी। चौबीस कैरेट। कोई मिलावट नहीं। जो चाहे जांच ले। बड़े खेल के खिलाड़ी ठहरे। छोटा-मोटा खेल नहीं खेलते। कोई कच्चापन नहीं। न अनाड़ीपन। इसी में असली औकात पता चलती है। निकम्मा आदमी काम का साबित होता है। सबसे कमजोर सबसे मजबूत निकल जाता है। इसमें कोई मायाजाल नहीं है। गो कि अंधेरा है। प्रकाश नजर नहीं आता। साइकिल चलते-चलते घूम जाती है। यहां कोई इंतजार नहीं करता। कि चार साल बाद बीजिंग जाएंगे। धंस के देखो, भाई। यह हमारा ओलंपिक है। अमर खेल है।

2 comments:

संगीता पुरी said...

कमाल का है ये कार्टून।

Udan Tashtari said...

:) बहुत बढ़िया.