Wednesday, August 13, 2008

कामयाबी चमकती सोने जैसी

कामयाबी दिखती है। चमकती है। सोने जैसी। उसे बोलने की जरूरत नहीं होती। गहरी नदी की तरह शांत। धीर-गंभीर। वह अभिनव है। हिंदुस्तान का सबसे कामयाब युवक। जिसने चुपचाप इतिहास लिख दिया। पूछने पर सिर्फ इतना कहा- आज का दिन मेरा है। कल किसी और का होगा। एकदम फलसफाना। वहां जो था, सब सच था। उस सच के बीच फलसफा। गले में सोने का तमगा। पीछे तिरंगा। फजां में राष्ट्रधुन। किसका सीना गर्व से फूल नहीं जाएगा। किसे नाज नहीं होगा। किसकी आंखें नम नहीं होंगी। पर वह शांत था। क्योंकि वह अभिनव है।

2 comments:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अभिनव के फलसफ़े को सलाम, अभिनव को बधाई और मधुकर जी, आपको साधुवाद।

Udan Tashtari said...

अभिनव को बधाई .