Sunday, August 17, 2008

एक हिंदुस्तानी कस्बा दुनिया में चमका

एक किस्सा। बिल्कुल ताजा। आज की ही बात। जम्बूद्वीपे भरतखंडे हरियाणा प्रांते। एक शहर भिवानी। एक स्कूल। एक प्रशिक्षक। और तीन घटनाएं। एक के बाद एक। ताबड़तोड़। पहले अखिल। फिर जितेंद्र और उसके बाद विजेंद्र। ऐसा कभी-कभार होता है। कि एक हिंदुस्तानी कस्बा दुनिया में चमके। यह कोई जादू नहीं है। न ही चमत्कार। लेकिन है वैसा ही कुछ। कि आंखें चुंधिया कर रह जाएं। भरोसा न हो। वहां बस दो चीजें थीं। मेहनत और लगन। हां, एक चीज और थी-हरियाणवी अंदाज। उसने मुक्का चलाया और चल गया। असली सिक्के की तरह।

7 comments:

Arun Arora said...

चल गया नही जी छप गया दुनिया भर मे :)

Arun Arora said...

चल गया नही जी छप गया दुनिया भर मे :)

महेन्द्र मिश्र said...

bade gourav ka vishay hai .

Anil Kumar said...

भिवानी में चल रहे इस बोक्सिंग स्कूल को और भी अधिक प्रोत्साहन दिया जाए. और इसी की तर्ज़ पर कुछ और भी खेलों के स्कूल खोले जायें ताकि अगले ओलंपिक में कुछ पदक तो मिलें!

Anwar Qureshi said...

क्या बात है ...एक अच्छी पोस्ट के लिए शुक्रिया ...

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

शाबाश भिवानी,...तुझे सलाम।

Nitish Raj said...

सच भिवानी के लाल, ले आओ तुम स्वर्ण करो रोशन अपने देश, घर और कोच(जगदीश जी-तीनों के कोच) का नाम रोशन।