Monday, August 18, 2008
वाह, फेल्प्स वाह!
वाह, फेल्प्स वाह! स्वर्णिम शिखर पर। कितनी बातें झूठ साबित कीं और कितनी सच। बचपन की बीमारी। उस पर फतह। शिक्षिका ने कहा था-एकाग्रता नसीब में नहीं। उसी के बूते सर्वोत्कृष्ट। मां ने कहा-उसके दिमाग में घड़ी। जो समय भरा, उसे साधा। प्रतिस्पर्धियों ने कहा-वह तो भविष्य से आया। छत्तीस बरस पहले स्पिट्ज के सात थे, अब फेल्प्स आठ। आठों प्रतिस्पर्धाओं में विजेता। सात में नये रिकार्ड। बुधवार का दिन, एक घंटा और दो स्वर्ण। वाकई महानतम। इस घड़ी के साक्षी होना सौभाग्य।
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4 comments:
फेल्प्स ने फिर साबित कर दिखाया कि असंभव कुछ भी नहीं।
वाकई महानतम,...
bahut accha sir
फेल्प्स ने साबित किया है कि असंभव कुछ भी नहीं, लेकिन सही मायने में उसकी गाथा सर्वकालिक है।
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