
ऐसा कम होता है। लेकिन होता है। वही संसद। वही सांसद। वही सब कुछ। पर दो पहलू। एक ओर खरीद-फरोख्त। सौदेबाजी। शर्मनाक स्थितियां। ऐसी कि चिढ़ हो जाए। नफरत हो। दूसरी ओर आदर झलके। सिर गर्व से ऊंचा हो जाए। एक आदमी दीवार की तरह खड़ा हो। सारे दबाव के बावजूद। निहायत गैरजरूरी लोकतांत्रिक पागलपन के बीच। संविधान की हिमायत में। उसकी हिफाजत के लिए। पूरी विनम्रता के साथ हाथ जोड़कर। सिर झुकाकर प्रणाम करते हुए। जन और तंत्र दोनों को। वरना तो यह सिर्फ तंत्र हो गया होता। धन्यवाद सोमनाथ।
5 comments:
अकेला सांसद जिसने संसद की गरिमा को रख लिया.... धन्यवाद सोमनाथ
निसंदेह सोमनाथ..ने भारतीय लोकतंत्र को मन से जीया है...और सर्वोच्च सदन के प्रति उनका ये आदर इसी का नमूना है..
definately Mr. somnath chattarjee
saved the respect and repotation
of constitutional post and sansad.
at current scenario where the value of democracy declined very fast.. Mr. mukerjee represent the example of
responsibility,honesty and determination with constitution. he needs for greets of whole country..
सोमनाथजी के पास यह अंतिम अवसर है जब खुद को इतिहास में एक सम्मानजनक स्थान दिला सके.
उपाध्याय जी,
सोमनाथ जी को तो निश्चित ही धन्यवादत। लेकिन अकेले वे क्या कर सकते हैं जब पक्ष, विपक्ष दोनों ही संसद के चीरहरण पर तुला हो।
अमन
jajbat.blogspot.com
Post a Comment