Thursday, July 24, 2008
राहगुजर ही राहगुजर है राहगुजर से आगे भी
मां हमेशा मां होती है। नाम जो भी हो। ठुमुकि चलत रामचंद्र वाली कौशल्या। राधा क्यों गोरी वाली यशोदा। या फिर शशिकला, कलावती, सोनिया। बच्चों के नाम भी बदल सकते हैं। देश-काल बदल सकता है। मां नहीं बदलती। बच्चों को बच्चा ही समझती है। देखकर खुश होती है। संतुष्ट नहीं होती। कभी पूरा इत्मीनान नहीं होता। यकीन नहीं होता। कि बच्चा बड़ा हो गया है। अपनी राह तय कर सकता है। चल सकता है। वश चले तो हाथ पकड़कर रास्ता दिखाए। चलना सिखाए। वह जानती है- राहगुजर ही राहगुजर है राहगुजर से आगे भी।
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1 comment:
बिल्कुल माँ तो ऐसी ही होती है!! सही कह रहे हैं.
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