Tuesday, July 8, 2008

दहशतगर्दी टुकड़खोर है

दहशतगर्दी टुकड़खोर है। टुकड़ों में रहती है। टुकड़ों पर पलती है। उसका काम है टुकड़े-टुकड़े करना। छोटे से दायरे में। बहुत सीमित दायरे में। बहुत सीमित असर के साथ। यह दायरा बड़ा भी हो भी नहीं सकता। बीच-बीच में अपनी औकात दिखाता रहता है। टुकड़खोर की औकात। पर जिंदगी दहशत पर भारी पड़ती है। हमेशा। जैसे काबुल में। तबाही हुई। लेकिन जिंदगी तबाह नहीं हुई। ललक बच गई। जिंदा रहने की। उम्मीद की पूरी दुनिया के साथ दर्द है पर खौफ नहीं। हाथ उठे हुए हैं। काबुलीवाले को पुकारते हुए।

2 comments:

anurag vats said...
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anurag vats said...

उम्मीद की पूरी दुनिया के साथ दर्द है पर खौफ नहीं।...aur yh yaad nhin ki is sandarbh men kbhi tukadkhor shabd ka prayog bhi hua hai...