Thursday, July 17, 2008
क्या यह बाईस तारीख की तस्वीर है?
जुबान झूठ बोल सकती है। उसकी फितरत है। आंखों का अंदाज-ए-बयां और है। वे कम बोलती हैं। पर जब बोलती हैं-सिर्फ सच बोलती हैं। चीख-चीखकर। कुछ भी नहीं छिपातीं। सब कह देती हैं। पलक झपकते। जुबान कहती है- हम होंगे कामयाब। आंखें उसका साथ नहीं देतीं। होंठ हिल-कांपकर रह जाते हैं। एक जरा चिंता। पीड़ा। असंभव का खौफ। कल क्या होगा। उम्मीद नजर ही नहीं आती। यकीन नहीं होता। क्या यह बाईस तारीख की तस्वीर है। आने वाले कल की हकीकत। उसका पूरा फसाना।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
बहुत सही कहा आपने आंखे झूठ नहीं बोलती।
हमेशा बुजदिलों के इरादे सर्द होते हैं !
मुसीबत उन पर आती है जो सच्चे मर्द होते हैं /
बामपंथियों की जिद पहली बार पुरी नही होने जा रही है .और कोई भी दल अभी चुनाव झेलने को तैयार है नही ,बल्कि ये कहा जाय हर दल के लिए चुनाव मुसीबत है अभी. तो जो ये फोटो आप दिखा रहे है ठीक ऐसा ही थोबडा सभी दल प्रमुख का इसी ने १५ रोज पहले बना दिया था .
और २२ के लिए कोई और फोटो लगाइए . सरकार नही जानेवाली ! विरोधी ही बचा ले जायेंगे .
कभी-कभी आँखें भी झूठ बोलने लगती हैं।
सरकार रहे या जाए लेकिन सचमुच मुल्क की निगहवान है आंखें जो झूठ नही बोलती ....
सही कहा
Post a Comment