Sunday, July 27, 2008

हे राम! ये क्या हो रहा है

डेढ़ सौ साल पहले दुनिया बदली थी। साइकिल ने बदल दी थी। जिंदगी में रफ्तार जोड़कर। पहियों ने आम आदमी को पंख लगा दिए। जादू कर दिया। उसके बाद कुछ भी वैसा नहीं रह गया, जसा था। क्योंकि साइकिल मुकम्मल थी। सबकुछ था। पहिये, गद्दी, हैंडिल, पैडल, घंटी। और कैरियर। सहूलियत का भंडार। डेढ़ सदी बाद दुनिया बदली। साइकिल फिर केंद्र में। दुर्भाग्य से इस बार तबाही का सबब बनकर। आतंक के हथियार के रूप में। साइकिल को क्या पता था कैरियर इतना खतरनाक होगा। हे राम! ये क्या हो रहा है। गांधी के देश में।

1 comment:

Rajesh Roshan said...

नजरिया लाजवाब