मौत बेबात का फसाना है। जिंदगी ही असल कहानी है। मौत को धता बताती। पछाड़ती। लड़कर जीतती। यही सुप्रतिम है। अप्रतिम है। विचित्र किंतु सत्य। मानो या न मानो। डाक्टरों से घिरा। चेहरे पर मुस्कान। सौम्य। लेकिन मौत को मुंह चिढ़ाती। जिंदगी इसी तरह हंसती है। स्मित और मोहक। यह गुड़गांव के हादसे से बचना नहीं है। जूझकर निकलना है। आर-पार लोहे का सरिया। सीने पर खून का दरिया। फिर भी हौसला। गजब है। मीर साहब देखिए। हादसा बस कि एक मोहलत है। यानी आगे चलेंगे दम लेकर।
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5 comments:
चाहे हो दोस्त कम,
बस दोस्ती में हो दम,
क्या कर लेंगे गम,
जब मिलकर लड़ेंगे हम
प्रेरणादाई पोस्ट.
सच बड़ी अद्भुत घटना थी ये.
सबका मालिक एक है.
सच में बड़ी अद्भुत घटना थी।
ईश्वर की बहुत कृपा है.
जाको राखे साँइया, मार सके ना कोय... यह सुना था,अब देख लिया। इसीलिए डॉक्टर भगवान कहे जाते हैं।
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