Wednesday, July 30, 2008

जिंदगी इसी तरह हंसती है


मौत बेबात का फसाना है। जिंदगी ही असल कहानी है। मौत को धता बताती। पछाड़ती। लड़कर जीतती। यही सुप्रतिम है। अप्रतिम है। विचित्र किंतु सत्य। मानो या न मानो। डाक्टरों से घिरा। चेहरे पर मुस्कान। सौम्य। लेकिन मौत को मुंह चिढ़ाती। जिंदगी इसी तरह हंसती है। स्मित और मोहक। यह गुड़गांव के हादसे से बचना नहीं है। जूझकर निकलना है। आर-पार लोहे का सरिया। सीने पर खून का दरिया। फिर भी हौसला। गजब है। मीर साहब देखिए। हादसा बस कि एक मोहलत है। यानी आगे चलेंगे दम लेकर।

5 comments:

vipinkizindagi said...

चाहे हो दोस्त कम,
बस दोस्ती में हो दम,
क्या कर लेंगे गम,
जब मिलकर लड़ेंगे हम

बालकिशन said...

प्रेरणादाई पोस्ट.
सच बड़ी अद्भुत घटना थी ये.
सबका मालिक एक है.

परमजीत सिहँ बाली said...

सच में बड़ी अद्भुत घटना थी।

Udan Tashtari said...

ईश्वर की बहुत कृपा है.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

जाको राखे साँइया, मार सके ना कोय... यह सुना था,अब देख लिया। इसीलिए डॉक्टर भगवान कहे जाते हैं।